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नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर समझौते के बाद लोगों के मन में सवाल है कि अब आगे क्या होगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस संबंध में तस्वीर को साफ कर दिया है। विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि चीन के साथ 'डिसइंगेजमेंट चैप्टर' समाप्त हो गया है। यह पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक के पास एलएसी से सटे विवादित सीमा क्षेत्रों में सैन्य वापसी के हालिया चरण के अंत को चिह्नित करता है। विदेश मंत्री ने कहा कि अब ध्यान डी-एस्केलेशन पर जाएगा, जिसमें एलएसी के साथ सैन्य उपस्थिति में महत्वपूर्ण कमी शामिल है। विदेश मंत्री ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।अब डी-एस्केलेशन पर फोकस
भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर को हुई हालिया बातचीत को लेकर जयशंकर ने कहा कि अंतिम डिसइंगेजमेंट कदमों में पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक के विवादास्पद क्षेत्रों में सैनिकों को अलग करने का मुद्दा शामिल है। उन्होंने कहा कि हमने 21 अक्टूबर को जो बातचीत की, वह डिसइंगेजमेंट समझौतों का अंतिम सेट था, जिसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि 2020 की गर्मियों के बाद, चीनी और भारतीय सैनिक एलओसी पर उन दूरियों पर तैनात थे, जो बेहद चिंताजनक थीं।
विदेश मंत्री ने कहा कि पहली प्राथमिकता सैनिकों को अलग करने के तरीके खोजने की रही है... गश्त फिर से शुरू करना... डिसइंगेजमेंट चैप्टर पूरा हो चुका है... जो हिस्सा हमारा इंतजार कर रहा है, वह डी-एस्केलेशन है, जो एलओसी पर फोर्स का बिल्डअप है। जयशंकर ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अपने समकक्षों से मिलेंगे।
कितने जटिल हैं भारत-चीन संबंध?
जयशंकर ने कहा कि हम वास्तव में इस संबंध को कैसे देखते हैं...यह काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि आपके पास दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं, जिनमें से दोनों मोटे तौर पर समानांतर समय सीमा में बढ़ रहे हैं। विदेश मंत्री ने दो बड़ी आबादी वाले देशों के बीच 'संतुलन' स्थापित करने की जटिलता को स्वीकार किया।
उन्होंने कहा कि आप सीमा क्षेत्रों में आपस में संतुलन कैसे स्थापित करते हैं... साथ ही अन्य मुद्दों पर एक कार्यशील संबंध कैसे स्थापित करते हैं। यह जरूरी है। साथ ही आपके प्रभाव और गतिविधियों की नई अभिव्यक्तियां किस तरह से संबंधों को प्रभावित करती हैं। इसके अलावा ये वास्तव में मुद्दों का एक जटिल समूह है और इसके लिए बहुत सोच और मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है।
अब डी-एस्केलेशन पर फोकस
भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर को हुई हालिया बातचीत को लेकर जयशंकर ने कहा कि अंतिम डिसइंगेजमेंट कदमों में पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक के विवादास्पद क्षेत्रों में सैनिकों को अलग करने का मुद्दा शामिल है। उन्होंने कहा कि हमने 21 अक्टूबर को जो बातचीत की, वह डिसइंगेजमेंट समझौतों का अंतिम सेट था, जिसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि 2020 की गर्मियों के बाद, चीनी और भारतीय सैनिक एलओसी पर उन दूरियों पर तैनात थे, जो बेहद चिंताजनक थीं।विदेश मंत्री ने कहा कि पहली प्राथमिकता सैनिकों को अलग करने के तरीके खोजने की रही है... गश्त फिर से शुरू करना... डिसइंगेजमेंट चैप्टर पूरा हो चुका है... जो हिस्सा हमारा इंतजार कर रहा है, वह डी-एस्केलेशन है, जो एलओसी पर फोर्स का बिल्डअप है। जयशंकर ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अपने समकक्षों से मिलेंगे।
कितने जटिल हैं भारत-चीन संबंध?
जयशंकर ने कहा कि हम वास्तव में इस संबंध को कैसे देखते हैं...यह काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि आपके पास दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं, जिनमें से दोनों मोटे तौर पर समानांतर समय सीमा में बढ़ रहे हैं। विदेश मंत्री ने दो बड़ी आबादी वाले देशों के बीच 'संतुलन' स्थापित करने की जटिलता को स्वीकार किया।उन्होंने कहा कि आप सीमा क्षेत्रों में आपस में संतुलन कैसे स्थापित करते हैं... साथ ही अन्य मुद्दों पर एक कार्यशील संबंध कैसे स्थापित करते हैं। यह जरूरी है। साथ ही आपके प्रभाव और गतिविधियों की नई अभिव्यक्तियां किस तरह से संबंधों को प्रभावित करती हैं। इसके अलावा ये वास्तव में मुद्दों का एक जटिल समूह है और इसके लिए बहुत सोच और मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है।
एलएसी पर प्रगति का किया था स्वागत
इससे पहले रविवार को ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि एलएसी पर हुई प्रगति 'स्वागत योग्य' बताया था। जयशंकर ने कहा था कि इससे भारत-चीन संबंधों में और सकारात्मक कदम बढ़ सकते हैं। उनकी टिप्पणी भारतीय और चीनी सैनिकों द्वारा पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग मैदानों में प्रमुख घर्षण बिंदुओं पर डिसइंगेजमेंट पूरा करने के बाद आई थी।
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